नई दिल्ली, एजेंसी। देश में जारी राष्ट्रपति पद के लिए सरगर्मी के बीच एक अलग ही अनुमान सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद 62 प्रतिशत से अधिक मतों के साथ आसानी से जीत हासिल कर सकते हैं, लेकिन उनकी जीत का आंकड़ा मौजूदा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को 2012 में मिले 69 प्रतिशत से थोड़ा कम रह सकता है। राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार दलित बनाम दलित उम्मीदवार के बीच मुकाबला है और आंकड़े एनडीए के पक्ष में हैं जिसे लगभग 7 लाख वोट मिल सकते हैं। यह आंकड़ा निर्वाचक मंडल के कुल 10,98,903 मतों का लगभग दो-तिहाई है।
विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार को आरजेडी, पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रहीं एसपी,बीएसपी और तृणमूल कांग्रेस-सीपीएम जैसे कई क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बावजूद लगभग 4 लाख मत मिलने की संभावना है। जेडी(यू), बीजेडी, एआईएडीएमके, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस जैसे कुछ बड़े गैर एनडीए दलों द्वारा समर्थन किए जाने के बाद कोविंद की असान जीत के अवसर बढ़ गए हैं।
बीजेपी उम्मीदवार को कुछ गैर राजनीतिक दलों का समर्थन मिलने के बाद कोविंद को 6,82,677 मत मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, मीरा कुमार के पास 3,76,261 मत हैं जो 34 प्रतिशत और कुल कॉलेजियम मत का एक तिहाई है। कुछ निर्दलियों और आम आदमी पार्टी, आईएनएल और एआईएमआईएम के लगभग 39,965 मत हैं। इन पार्टियों ने समर्थन के मुद्दे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यह ब्लॉक किस तरफ जाएगा, यह मुख्यत: सत्तारुढ़ पार्टी और विपक्ष के उम्मीदवारों के रणनीतिक अभियान पर निर्भर करेगा।
राष्ट्रपति चुनाव कॉलेजियम में कुल 776 सांसदों में से कोविंद के पास 524 सांसदों का समर्थन है। इनमें से 337 सांसद बीजेपी हैं। वहीं, विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के पास 235 सांसदों का समर्थन है। एक सांसद के मत का मूल्य 708 मतों के बराबर होता है । इस तरह एनडीए उम्मीदवार को सांसदों का 3,70,992 मत मिलेगा। उन्हें मिलने वाले शेष 3,11,685 मत विधायकों के होंगे। मीरा कुमार को सांसदों के 1,66,380 वोट मिलेंगे। उन्हें शेष 2,09,881 वोट राज्यों के विधयकों से मिलेंगे
राज्य विधानसभाओं में उत्तर प्रदेश के विधायकों का सर्वाधिक मत मूल्य 83,824 है। यह प्रति विधायक 208 मतों का आंकड़ा है। वहीं, सिक्किम विधानसभा में सबसे कम मत मूल्य 224 हैं और यह प्रति विधायक 7 मतों का आंकड़ा है। मीरा कुमार को अभी नामांकन दाखिल करना बाकी है और वह 28 जून को नामांकन दाखिल कर सकती हैं। वहीं, कोविंद ने अभियान की शुरुआत कर अग्रिम बढ़त हासिल कर ली है। कुछ केंद्रीय मंत्री भी उनके साथ हैं। अपने पक्ष में संख्या होने के बावजूद बीजेपी आक्रामक रूप से अभियान चला रही है। पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, पंजाब, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में बीजेपी के पास बढ़त है।
विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार को आरजेडी, पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रहीं एसपी,बीएसपी और तृणमूल कांग्रेस-सीपीएम जैसे कई क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बावजूद लगभग 4 लाख मत मिलने की संभावना है। जेडी(यू), बीजेडी, एआईएडीएमके, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस जैसे कुछ बड़े गैर एनडीए दलों द्वारा समर्थन किए जाने के बाद कोविंद की असान जीत के अवसर बढ़ गए हैं।
बीजेपी उम्मीदवार को कुछ गैर राजनीतिक दलों का समर्थन मिलने के बाद कोविंद को 6,82,677 मत मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, मीरा कुमार के पास 3,76,261 मत हैं जो 34 प्रतिशत और कुल कॉलेजियम मत का एक तिहाई है। कुछ निर्दलियों और आम आदमी पार्टी, आईएनएल और एआईएमआईएम के लगभग 39,965 मत हैं। इन पार्टियों ने समर्थन के मुद्दे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यह ब्लॉक किस तरफ जाएगा, यह मुख्यत: सत्तारुढ़ पार्टी और विपक्ष के उम्मीदवारों के रणनीतिक अभियान पर निर्भर करेगा।
राष्ट्रपति चुनाव कॉलेजियम में कुल 776 सांसदों में से कोविंद के पास 524 सांसदों का समर्थन है। इनमें से 337 सांसद बीजेपी हैं। वहीं, विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार के पास 235 सांसदों का समर्थन है। एक सांसद के मत का मूल्य 708 मतों के बराबर होता है । इस तरह एनडीए उम्मीदवार को सांसदों का 3,70,992 मत मिलेगा। उन्हें मिलने वाले शेष 3,11,685 मत विधायकों के होंगे। मीरा कुमार को सांसदों के 1,66,380 वोट मिलेंगे। उन्हें शेष 2,09,881 वोट राज्यों के विधयकों से मिलेंगे
राज्य विधानसभाओं में उत्तर प्रदेश के विधायकों का सर्वाधिक मत मूल्य 83,824 है। यह प्रति विधायक 208 मतों का आंकड़ा है। वहीं, सिक्किम विधानसभा में सबसे कम मत मूल्य 224 हैं और यह प्रति विधायक 7 मतों का आंकड़ा है। मीरा कुमार को अभी नामांकन दाखिल करना बाकी है और वह 28 जून को नामांकन दाखिल कर सकती हैं। वहीं, कोविंद ने अभियान की शुरुआत कर अग्रिम बढ़त हासिल कर ली है। कुछ केंद्रीय मंत्री भी उनके साथ हैं। अपने पक्ष में संख्या होने के बावजूद बीजेपी आक्रामक रूप से अभियान चला रही है। पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, पंजाब, त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में बीजेपी के पास बढ़त है।
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