नई दिल्ली, ब्यूरो। जीएसटी लागू होने के बाद कमोडिटीज की सप्लाइ और उनकी कीमतों पर नजर रखने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है। मंगलवार को जीएसटी से जुड़े कई भ्रमों को दूर करते हुए राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने बताया कि अब तक 2 लाख 2 हजार लोगों ने जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन के आवेदन दिया है। जीएसटी लागू होने के बाद प्रोडक्ट्स के एमआरपी से अलग वसूली को लेकर अढ़िया ने कहा, ‘जीएसटी लागू होने के बाद रिटेल प्राइस में संशोधन हो सकता है। यदि एमआरपी से अधिक दाम होंगे तो मैन्युफैक्चरर्स को दो अखबारों में सूचना देनी होगी और पैकेट पर रिवाइज एमआरपी लिखनी होगी। दाम कम होने पर विज्ञापन देने की जरूरत नहीं है, लेकिन रिवाइज एमआरपी अलग से लिखनी होगी। किसी भी चीज की एमआरपी में सभी टैक्स शामिल होंगे। इसके लिए अलग से किसी तरह के टैक्स की वसूली नहीं की जा सकती।’
20 लाख से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को छूट
अढ़िया ने कहा कि लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि यदि 20 लाख से कम के टर्नओवर वाले कारोबारियों से जीएसटी नहीं लिया जाएगा तो फिर सरकार को कमाई कैसी होगी। उन्होंने कहा, 'थोक दुकानदार से रिटेलर को सामान बेचने पर ही सरकार को टैक्स मिल जाता है। लेकिन, कंपोजिशन या छूट हासिल करने वाले डीलर को इसकी जरूरत नहीं है।' उन्होंने कहा कि यदि हम छोटे रिटेलर से टैक्स नहीं ले रहे हैं तो भी वह हमें थोक दुकानदार से सामान बिकने पर ही मिल चुका होता है।
अढ़िया ने कहा कि जीएसटी के सही क्रियान्वयन पर निगरानी के लिए सरकार ने 15 विभागों के सचिवों की एक कमिटी गठित की है। कुल 175 अधिकारियों को इस काम में लगाया जाएगा। एक अधिकारी के पास 4 से 5 जिलों की जिम्मेदारी होगी। जीएसटी के बाद कीमतों और सप्लाइ पर सरकार की नजर है। उन्होंने कहा कि अब तक 22 राज्यों ने चेक पोस्ट्स खत्म कर दिए हैं और एक महीने के भीतर सभी राज्य इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। अढ़िया ने कहा कि हरियाणा और दिल्ली बॉर्डर जैसी कुछ जगहों पर चेक पोस्ट्स नहीं हटे हैं, लेकिन यहां पर माल पर टैक्स नहीं लिया जा रहा है, बल्कि गाड़ियों की एंट्री पर टैक्स लिया जा रहा है। राजस्व सचिव ने स्पष्ट किया कि टोल टैक्स और एंट्री टैक्स जीएसटी के दायरे में नहीं है।
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