1947 के बाद जन्मे पहले उपराष्ट्रपति बने वेंकैया नायडू

राजघाट पर महात्मा गाँधी की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देते हुए वेंकैया नायडू।

नई दिल्ली। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भारत के 13वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली और राज्यसभा के सभापति के रूप में पदभार संभाल लिया। वह ऐसे पहले उपराष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ। वह बतौर उपराष्ट्रपति अपना पहला भाषण भी देंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नायडू को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

दिलचस्प  बात यह है कि नायडू ने हिंदी में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन की ओर से आयोजित शपथ समारोह में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  गृहमंत्री राजनाथ और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वेंकैया ऐसे पहले उपराष्ट्रपति बने हैं, जो इतने वर्षों तक इन्हीं लोगों के बीच पले-बढ़े। देश को पहले ऐसे उपराष्ट्रपति मिले, जो सदन की बारीकियों से वाकिफ हैं। वह प्रक्रिया से निकले पहले उपराष्ट्रपति हैं। मोदी ने कहा कि नायडू पहले ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जो आजाद भारत में पैदा हुए। उन्होंने कहा कि नायडू किसान के बेटे हैं और गांव को भलीभांति जानते हैं। वह जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे।

पीएम ने कहा कि नायडू कैबिनेट  में भी गांव और किसान की बात करते थे। आज सर्वोच्च पदों पर सामान्य घरों के लोग आसीन हुए हैं। आज हमने गौरवपूर्ण जिम्मेदारी वेंकैया नायडू को दी। इसके अलावा कांग्रेस नेताा गुलाब नबी आजाद ने पदभार संभालने के लिए नायडू को बधाई दी।  राज्यसभा में धन्यवाद अभिभाषण के बाद नायडू उपराष्ट्रपति के रूप में अपना पहला भाषण देंगे। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह राज्यसभा के सदस्य पद की शपथ लेंगे। अमित शाह गुजरात से चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंचे हैं।

इससे पहले नायडू को देश का 13वां उपराष्ट्रपति चुना गया था। इस चुनाव में एनडीए की ओर से वेंकैया नायडू, तो विपक्ष से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल एवं महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी मैदान में थे। यहां कुल पड़े 771 वोटों में वेंकैया नायडू को 516 वोट, तो गोपालकृष्ण गांधी के खाते में 244 वोट गए थे।

  नायडू सबसे पहले अपने आवास 30 एपीजे अब्दुल कलाम रोड से राजघाट पहुंचे और वहां श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वह डीवाईडीव पार्क गए और वहां दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी। वह पटेल चौक पहुंचकर सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू पर भी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वह राष्ट्रपति भवन पहुंचे और पद की शपथ ली।


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