#MCU पहले कुत्ते पाले अब गाय पाल रहे हैं ‘एक भारतीय आत्मा’ दुखी तो जरूर हो रही होगी






भोपाल, ब्यूरो। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विशवविद्यालय के नए परिसर में गौशाला बनाने के प्रस्ताव को लेकर सोशल मीडिया पर घमासान मचा हुआ है। एक ओर जहां पुराने छात्र विश्वविद्यालय के इस प्रयास का तीखा विरोध कर रहे हैं। वहीं, वर्तमान छात्रों का भी कहना है कि गौशाला का पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं है। यह सिर्फ संघ परिवार को खुश करने की कोशिश भर है, ऐसा करने से ना सिर्फ पत्रकारिता को नुकसान पहुंचेगा बल्कि विश्वविद्यालय की छवि भी खराब होगी। 

इसी मामले को लेकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र राहुल चौकसे ने  अपनी Facebook वॉल पर तीखा विरोध जताया है। उन्होंने लिखा है कि ‘पत्रकारिता विवि में पहले कुत्ते पले और अब गाय। गौशाला संचालित करने के नाम पर बजट कितना रहेगा? क्या यह छात्रों की फीस से निकाला जाएगा? यदि हां तो क्या छात्रों की आवश्यकताएं विवि पूरी कर रहा है? कुलाधिसचिव माननीय उपराष्ट्रपति महोदय इस फैसले पर अपनी क्या राय रखते हैं? बेरोजगार रह गए छात्रों को क्या गाय की सेवा और उसके उत्पाद को बेचने की अनुमति मिलेगी?  रोड पर घूम रहीं आवारा गाय क्या विवि के छात्र बटोरकर प्रांगण में भर्ती करवा सकते हैं? किसान खेतों में विवि से गाय उधार ले सकतें हैं। क्या? मज़ाक लगा रखा है। पहले कुत्ते पाले अब गाय पाल रहे हैं। 'एक भारतीय आत्मा' बहुत दुखी होगी जरूर।’

वरिष्ठ पत्रकार अविनाश श्रीवास्तव ने व्यंग्य करते हुए लिखा है कि ‘#सुनोकुठियालाजी, अब जब गौशाला खुल ही रही है तो रोज़ का 2 गिलास शुद्ध गाय का दूध हरेक स्टूडेंट के लिए पक्का करो। जिस दिन न पिएं, उसी गौशाला में ड्यूटी करें, तभी न बढेगा इंडिया।’

एक अन्य यूजर्स राकेश कुमार मालवीय भी लिखते है कि एक भारतीय आत्मा दोबारा मार दी गई है। बार बार मारी जा रही है। आत्मा मोक्ष चाहती है। मोक्ष गाय की सेवा करके मिलेगा। इसलिए गौशाला खोली जा रही है। सकारात्मक सोचिए, यह सकारात्मकता का काल है। गोबर को गुड़ समझकर मुंह के रास्ते पेट में उतार लीजिए। गाय काल में गोबर से ही भूख मिटेगी। गोबर शिरा और धमनियों से होकर आपके मस्तिष्क में पहुंचेगा। जैसे ही आपके दिमाग में गाय का प​वित्र गोबर पहुंचेगा, आपको भी मोक्ष मिल जाएगा। आपको सब कुछ पवित्र दिखने लगेगा। आप गोबर की सुगंध से वातावरण को महकाएंगे। आपके मुंह से गौ माता की जय सहज रूप से निकलने लगेगा। यह बड़ी सोच है, आप दुर्बुधि, इस महान सोच की ऐसे ही आलोचना करते रहेंगे। आपको देश की चिंता नहीं है। आपको समाज की चिंता नहीं है। आप भारतीय नहीं है।

वहीं, पूर्व छात्र तौहीद कुरैशी ने भी फेसबुक पर लिखा है कि ‘थोड़ा क्रेडिट तो कुठियाला जी को भी देना चाहिए।यूनिवर्सिटी में दूध-दही-मक्ख़न का काम शुरू करके माखनलाल नाम को यूँ सार्थक करने का विचार पहले किसी VC को आया था क्या?’

#SaveMcu

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2 comments:

  1. माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय स्थापना के समय से ही नए आयाम स्थापित किए हैं लेकिन जैसे ही संघ परिवार का दखल विश्वविद्यालय में पड़ा इस की गरिमा भी धूमिल होती गई कई उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम यां तो बंद कर दिए गए या उनका सिलेबस बदल दिया गया।

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  2. माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय स्थापना के समय से ही नए आयाम स्थापित किए हैं लेकिन जैसे ही संघ परिवार का दखल विश्वविद्यालय में पड़ा इस की गरिमा भी धूमिल होती गई कई उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम यां तो बंद कर दिए गए या उनका सिलेबस बदल दिया गया।

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