बनिता जैन के साथ म्यूचुअल फंड की रणनीतियों को समझें

 बनिता जैन के साथ म्यूचुअल फंड की रणनीतियों को समझें


आमतौर पर स्टॉक मार्केट (Stock Market) में निवेश करते समय निवेशकों के सामने शेयरों की खरीदारी रिबैलेंस और जोखिम से कैसे बचें जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। लेकिन यहां फंड मैनेजर (Fund Manager) इस तरह के निर्णय लेने में माहिर होता है। पोर्टफोलियो (Portfolio) परफॉर्मेंस में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको रणनीति बनानी चाहिए।


आप निवेश किस क्षेत्र में करना चाहते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस क्षेत्र को लेकर आपकी समझ कितनी गहरी है। आमतौर पर, ऐसी समझ वर्षों के अनुभव और गहन अध्ययन से विकसित होती है। हालांकि, एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर में यही खासियतें होती हैं।


इस वीडियो में चर्चा की गई है कि कैसे एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर रिटर्न को प्रभावित कर सकता है, मार्केट वोलैटिलिटी से निपट सकता है और निवेशकों के पोर्टफोलियो को संतुलित बनाए रख सकता है? Finance Ke Funde में देखिए बनिता जैन (ऐश्वर्या इन्वेस्टमेंट्स की निदेशक और संस्थापक) के साथ मोहिनी त्यागी की खास बातचीत। ये रहे बातचीत के कुछ अंश -


1. फंड मैनेजर क्या करता है?म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले अक्सर फंड मैनेजर के बारे में सुनते रहते हैं। दरअसल, फंड मैनेजर एक फाइनेंशियल प्रोफेशनल होता है जो निवेशकों के फंड को मैनेज करके उसे सही जगह निवेश करने के लिए जिम्मेदारी लेता है। बनिता जैन फंड मैनेजर की आधारभूत भूमिका को स्पष्ट करती हैं: रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न को अधिकतम करते हुए धन का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना।


उनके मुताबिक “फंड मैनेजर का मेन रोल होता है इन्वेस्टर के पैसे को कैसे मैनेज करना और उस पर एक अच्छा रिस्क एडजस्टेड रिटर्न जनरेट करना।” वह निवेशकों को परफॉर्मेंस के मूल्यांकन के लिए उपयोग किए जाने वाले एनालिटिकल टूल के इस्तेमाल की भी बात करती हैं- जैसे शार्प रेश्यो, बीटा और स्टैंडर्ड डेवियेशन। ये सभी टूल सही फंड के चयन में मदद करते हैं।


2. निर्णय लेना और मार्केट टाइमिंगस्टॉक मार्केट में निवेश करते समय निवेशकों के सामने शेयरों की खरीदारी, रिबैलेंस और जोखिम से कैसे बचें जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। लेकिन यहां फंड मैनेजर इस तरह के निर्णय लेने में माहिर होता है। पोर्टफोलियो परफॉर्मेंस में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बनिता जैन बताती हैं कि कैसे एक्सपीरियंस और टाइमिंग प्रबंधकों को औसत प्रबंधकों से अलग कर सकते हैं। बनिता जैन कहती हैं “डिसीजन मेकिंग पावर, मार्केट टाइमिंग, रिस्क हैंडलिंग — यही आपके इन्वेस्टमेंट को काफी इन्फ्लुएंस करता है।”


4. लंबे समय के लिए धैर्य रखना

स्टॉक मार्केट में धैर्य वही रखता है, जिसने मार्केट के उतार-चढ़ाव को देखा है, सरकार और RBI के निर्णयों को समझा है और जियोपॉलिटिकल स्थिति को जाना है। एक फंड मैनेजर में ऐसा ही धैर्य होता है और निवेश को लेकर उसकी सोच लंबे समय के लिए होती है, खास तौर पर जब वह इक्विटी फंड में निवेश करता है। बनिता जैन के अनुसार “अगर आपको इक्विटी फंड्स में जाना है तो मैं तो 10 साल का होराइजन बोलती हूं। वहीं अच्छे रिटर्न मिलते हैं।”


5. SIP मिथ और मार्केट करेक्शनस्टॉक मार्केट के गिरने से निवेशक पैनिक करने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वह अपने SIPs भी रोक देते हैं। बनिता बताती हैं, गिरते मार्केट में आप कम कीमतों पर अधिक यूनिट्स ले सकते हैं, जिससे लॉन्ग-टर्म प्रदर्शन में सुधार होता है। उनके अनुसार “जब मार्केट डाउन होता है तो SIPs बंद करना सबसे गलत तरीका है। उस वक्त यूनिट्स ज्यादा परचेस हो रही होती हैं।”


6. एक अच्छे फंड मैनेजर का मूल्यांकन कैसे करेंबनिता फंड मैनेजर की विश्वसनीयता का आकलन करने के लिए सरल मापदंड साझा करती हैं - जिसमें ट्रैक रिकॉर्ड, अनुभव, शिक्षा, उतार-चाढ़ाव के दौरान प्रदर्शन और रिटर्न में स्थिरता शामिल है। बनिता जैन कहती हैं “फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड देखिए, इंडस्ट्री का एक्सपीरियंस और वोलेटाइल मार्केट में उसकी परफॉर्मेंस चेक कीजिए।” इस तरह आप एक अच्छे फंड मैनेजर का चयन कर सकते हैं।

अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं या फंड मैनेजर के काम के तरीकों को समझना चाहते हैं तो यह टॉक शो आपको जरूर देखना चाहिए। फंड प्रबंधन रणनीतियों को समझने से लेकर भावनात्मक निर्णय लेने तक, यह वीडियो हर चरण में मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है।
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