नई दिल्ली। 12 मार्च, 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले मेंअंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को सजा सुनाई गई है। ऐसे में कई लोग अबू सलेम के बारे में जानना चाहते हैं कि आखिर वो है कौन? हम आपको बता रहे हैं मुंबई की जेल में बंद अबू सलेम एक अरबपति माफिया डॉन है। #CBI और पुलिस रिकार्ड के मुताबिक उसकी कुल संपत्ति ₹4000 करोड़ रुपए की है। जिसमें से ₹1000 करोड़ रुपए नकदी और संपत्ति उसकी दोनों पत्नियों समीरा जुमानी और मोनिका बेदी के बीच विभाजित है। बॉलीवुड और हवाला रैकेट में सलेम का निवेश कम से कम 3,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। सीबीआई के मुताबिक उसका सालाना लेनदेन करीब ₹200 करोड़ रुपए का था। उसे एक गैर आप्रवासी अमेरिकी के तौर पर वीजा मिला हुआ था। बताया जाता है कि उसके पास 12 पासपोर्ट थे।
कौन है अबू सलेम?
अंडरवर्ल्ड डॉन #अबूसलेम का जन्म 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सराय मीर नामक गांव में हुआ था। उसकी जन्मतिथि को लेकर सीबीआई और #मुंबई पुलिस के बीच मतभेद हैं। अबू सलेम का पूरा नाम अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी है। वैसे कई जगहों पर उसे अकील अहमद आजमी, कैप्टन और अबू समान के नाम से भी जाना जाता है। अबू के पिता एक जाने माने वकील थे। मगर एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाने के बाद अबू का परिवार टूट गया। वह चार भाईयों में दूसरे स्थान पर था।
पढ़ाई छोड़कर #Mumbai को बनाया ठिकाना
पिता की मौत के बाद अबू का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गया। जिसके चलते अबू सलेम ने पढ़ाई छोड़कर काम करना शुरू कर दिया। उसने आजमगढ़ में ही एक मैकेनिक के यहां काम करना शुरू कर दिया। लेकिन जल्द वह काम के लिए दिल्ली आ गया। यहां उसने मैकेनिक का काम करने के बाद टैक्सी चलाना शुरू किया। लेकिन वह अपना और परिवार का गुजारा नहीं कर पा रहा था। इसलिए 80 के दशक में उसने मुंबई का रुख कर लिया। और वहां जाकर टैक्सी चलाने लगा।
अपराध की दुनिया में कदम
मुंबई में कुछ माह बाद ही अबू की मुलाकात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लोगों से हुई। पहले मामला दुआ सलाम तक रहा लेकिन जल्द ही उसने डी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। उसके साथ उसका चचेरा भाई अख्तर भी शामिल था। यह जुर्म की दुनिया में उसका पहला कदम था। पहले वह आम कारिंदे की तरह काम करता रहा लेकिन अपने हुनर और तेज दिमाग की वजह से जल्द ही वह गैंग में आगे बढ़ गया था। उसने गैंग में रहकर अपनी अलग पहचान बनाना शुरू कर दिया था। मुंबई के लोग भी धीरे धीरे उसे जानने लगे थे। अबू सलेम अब पूरी तरह से जुर्म के रंग में रंग गया था।
अबू की पहली गिरफ्तारी
अबू सलेम के खिलाफ पहला मामला 1988 में #मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। लेकिन 1991 में उत्तर पश्चिम मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आफताब अहमद खान ने अबू सलेम को पहली बार गिरफ्तार किया था। यह उसकी पहली गिरफ्तारी थी। अबू पर आरोप था कि उसने लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में व्यापारियों से अवैध उगाही की कोशिश के चलते गोलीबारी की थी। उसके खिलाफ इस संबंध में मामला भी दर्ज था। यह पहला मौका था जब पुलिस को अबू सलेम की तस्वीरें और फिंगर प्रिंट हासिल हुए थे।
मुंबई #धमाकों के बाद दुबई बना ठिकाना
अबू सलेम, #दाऊद के गैंग में अपनी खास जगह बना चुका था। इसी दौरान मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए। जिसका इल्जाम दाऊद गैंग के सिर पर था। इसलिए दाऊद इब्राहिम और उसके गैंग ने दुबई में पनाह ली। अबू सलेम भी वहां पहुंच गया। फिर उसने दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम के लिए काम करना शुरू कर दिया। वह दुबई में रहकर तस्करी और वसूली जैसे कामों को अंजाम देने लगा था। साथ ही वो कार ट्रेडर भी बन गया था। अनीस और दाऊद उसके काम से खुश थे। गैंग में उसकी तूती बोलने लगी थी।
उसने कई फिल्मी हस्तियों से उगाही की
अबू सलेम के काम से खुश होकर डी कंपनी ने जल्द ही उसे अहम काम सौंप दिया। वो काम था बॉलीवुड और बिल्डरों से वसूली करने का। सलेम ने इस काम को बाखूबी अंजाम दिया। उसने बॉलीवुड सितारों, निमार्ताओं के साथ-साथ बिल्डरों से जमकर वसूली करना शुरू कर दिया। पैसा वसूल करने के लिए उसने हर तरकीब अपनाई। धमकी देना, गोलीबारी करना और यहां तक कि किसी की जान लेना उसके लिए खेल बन गया। उसका आतंक मायानगरी में इस कदर बढ़ गया कि बॉलीवुड का हर छोटा बड़ा आर्टिस्ट और फिल्म निर्माता अबू सलेम उर्फ कैप्टन के नाम से ही कांपने लगा था।
डी कंपनी से अलग हो गया था अबू
अबू सलेम अब एक बड़ा माफिया बन चुका था। अंडरवर्ल्ड की दुनिया में उसका नाम चल निकला था। इसी दौरान अबू और अनीस के बीच खटपट हो गई। मामला इतना बढ़ा कि 1998 में अबू सलेम दाऊद गैंग से अलग हो गया। उसने अलग से काम करना शुरू कर दिया। इस बीच सलेम ने बॉलीवुड के फिल्म निर्देशक राजीव राय और राकेश रोशन को मारने की नाकाम कोशिश की। ये दोनों ही उस वक्त दाऊद इब्राहिम के करीबी थे। इस घटना से अबू सलेम और दाऊद इब्राहिम के बीच दुश्मनी और गहरी हो गई।
गुलशन कुमार की हत्या और अन्य मामले
अबू अब एक पेशेवर अपराधी बन चुका था। उसने मुंबई समेत कई शहरों में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली की कई वारदातों को अंजाम दिया था। भारत में वह वांटेड बन चुका था। मुंबई के धमाकों में भी सलेम को नामजद किया गया था। इसके साथ ही 1997 में बॉलीवुड के निमार्ता गुलशन कुमार की हत्या में भी उसका नाम सामने आया था। ऐसे ही अभिनेत्री मनीषा कोइराला के सचिव समेत 50 लोगों की हत्या के मामलो में भी उसका नाम शामिल था।
अबू सलेम की शादीशुदा जिंदगी
गैंगस्टर अबू सलेम ने 1991 में मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में रहने वाली 17 वर्षीय समीरा जुमानी से शादी की थी। बताया जाता है कि समीरा ने दो बच्चों को जन्म दिया था। इस वक्त समीरा जॉर्जिया, अमेरिका में रहती है। उसने वहां जाने के लिए सबीना आजमी नाम से एक फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था। अब वह इसी नाम से वहां रहती है। उसका नाम नेहा उर्फ आसिफ जाफरी भी है। बताया जाता है कि इसके बाद अबू सलेम समीरा से अलग हो गया था। और उसने बॉलीवुड अभिनेत्री मोनिका बेदी से दूसरी शादी कर ली थी। हालांकि समीरा से उसके तलाक की बात अभी तक सामने नहीं आई है।
ऐसे हुई थी गिरफ्तारी
भारत में मोस्ट वांटेड बन जाने के बाद सलेम देश छोड़कर भाग गया था। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जा चुका था। इंटरपोल लगातार उसकी तलाश कर रही थी। और आखिरकार 20 सितंबर 2002 को अबू सलेम को उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ इंटरपोल ने लिस्बन, पुर्तगाल में गिरफ्तार कर लिया था। उसकी गिरफ्तारी सैटेलाइट फोन से मिली लोकेशन के जरिए संभव हो पाई थी। फरवरी 2004 में पुर्तगाल की एक अदालत ने उसका भारत में प्रत्यर्पण किए जाने को मंजूरी दे दी थी। उस पर भारत में मुंबई बम धमाकों का मामला चलाया जाना था। बताया जाता है कि डी कंपनी के छोटा शकील ने पुर्तगाल में उसके होने की खबर पुलिस को दी थी।
टाडा अदालत ने आरोप तय किए थे
1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के मामले में अबू सलेम की भूमिका के लिए मार्च 2006 को विशेष टाडा अदालत ने उसके और उसके सहयोगी रियाज सिद्दीकी के खिलाफ आठ आरोप दायर किए थे। उस पर हथियार बांटने का आरोप भी लगाया गया था। तभी से अबू सलेम को उच्च सुरक्षा के बीच मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया है।
जेल में सलेम पर दो बार हमला हुआ
मुंबई की आर्थर रोड जेल में सजा काट रहे अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर 2010 में पहली बार हमला किया गया था। उस वक्त एक कैदी ने उसके चेहरे पर ब्लेड से हमला किया था। इस हमले के बाद अधिकारियों ने उसे तलोजा जेल में शिफ्ट कर दिया था और उसकी सुरक्षा भी बढ़ा दी थी। इसके बाद सितंबर 2013 में वकील शाहिद आजमी हत्याकांड के आरोपी देवेंद्र जगताप ने सलेम पर गोली चलाई थी जिसमें सलेम जख्मी हो गया था। इस हमले के बाद कई जेलकर्मियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। आरोप है कि अबू सलेम पर हुए हमलों के पीछे डी कंपनी का हाथ था।
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