नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के कद्दावर दलित नेता और टीकमगढ़ से लोकसभा सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक को रविवार को मंत्री की शपथ दिलाई गई। खटीक 6 बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। उन्होंने 1970 के दशक में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। आपातकाल में मीसा के तहत वह 16 महीने जेल में भी बिताई थे। 27 फरवरी  1954 में मध्यप्रदेश के सागर में जन्मे वीरेंद्र कुमार के परिवार में पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटा है। वे कभी पंचर की दुकान पर काम करते थे। साथ ही उनके नाम स्कूटर से क्षेत्र में सक्रिय रहने का भी रिकॉर्ड है।
अभी तक ये पद थे इनके पास
वीरेंद्र कुमार मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से लोक सभा सांसद हैं और श्रम पर संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष हैं। संसद सदस्य रहते उन्हें श्रम एवं कल्याण संसदीय समिति,अनुसूचित जाति एवं जन जाति कल्याण, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस संसदीय समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। 
शिक्षा के लिए किया गया काम बना मिसाल
छात्रों के समक्ष पेश आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने अभियान चलाया  और उनकी सहायता के लिए एक लाइब्रेरी भी खोली। अर्थशास्त्र में एमए और फिर बाल श्रम पर एमफिल करने वाले वीरेंद्र अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। 
आरके सिंह मोदी: 20 दिसंबर 1952 जन्म। राजकुमार सिंह 1975 बैच के बिहार कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। बिहार के आरा से लोकसभा सदस्य राज कुमार सिंह देश के गृह सचिव रह चुके हैं।  पढ़ने-लिखने के शौकीन राजकुमार सिंह यानी आर के सिंह ने सेंट स्टीफंस कॉलेज नई दिल्ली, आरवीबी डेल्फ विश्वविद्यालय (नीदरलैंड) से शिक्षा ग्रहण की। वह 2014 में भाजपा के टिकट पर आरा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए और 16वीं लोकसभा के सदस्य बने। इसके बाद वह विशेषाधिकार समिति, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत, कानून आदि की स्थायी संसदीय समितियों के सदस्य रहे।
अश्विनी कुमार चौबे: बिहार के बक्सर से लोकसभा सदस्य हैं। ‘घर-घर में हो शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान’, नारा देने वाले अश्विनी कुमार चौबे केंद्रीय मंत्री बने है। वह 1970 के दशक में जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्हें आपातकाल के दौरान मीसा के तहत हिरासत में लिया गया था। मई 2014 के आम चुनाव में 16 वीं लोकसभा के लिए चुने गए। वह ऊर्जा पर संसद की प्राक्लन एवं स्थायी समिति के सदस्य हैं। वह केंद्रीय रेशम बोर्ड के भी सदस्य हैं। भागलपुर के दरियापुर के रहने वाले चौबे बिहार विधानसभा के लिए लगातार पांच बार चुने गए। वह 1995-2014  तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। वह बिहार सरकार में आठ साल तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सहित अहम विभागों के पदभार संभाल चुके हैं।  उन्होंने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।
सत्यपाल सिंह: 29 नवंबर 1955 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बसौली में जन्मे सिंह ने रसायनशास्त्र में एमएससी और एमफिल किया है। उत्तर प्रदेश में बागपत से लोकसभा के लिए चुने गए। 1990 के दशक में मुंबई में संगठित अपराध की कमर तोड़ दी थी। सत्यपाल सिंह देश के पुलिस विभाग के सबसे सफल और कर्मठ पुलिस अधिकारियों में गिने जाते हैं। उन्हें 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक से सम्मानित किया गया। आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके अदम्य साहस के बूते पर अंजाम दिए गए असाधारण कार्यों के लिए उन्हें विशेष सेवा पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद आॅस्ट्रेलिया से सामरिक प्रबंधन में एमबीए, लोक प्रशासन में एमए और नक्सलवाद में पीएचडी किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिंह ने लेखन में भी अपने हाथ आजमाए और कई किताबें लिखीं। ज्ञान हासिल करने और उसे बांटने का सिलसिला यहीं नहीं थमा।
हरदीप पुरी: 15 फरवरी 1952 को दिल्ली में जन्मे हरदीप भारतीय विदेश सेवा के 1974 बैच के अधिकारी हैं और 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारतीय जनता पार्टी के रूख से प्रभावित होकर उन्होंने भगवा पार्टी में शामिल होने का फैसला किया। भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हरदीप पुरी को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति का माहिर माना जाता है। तकरीबन 40 वर्ष के अपने राजनयिक जीवन के दौरान वह कई देशों में भारत के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं देने के अलावा संयुक्त राष्ट्र में अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। अपने छात्र जीवन से ही उन्होंने नेतृत्व क्षमता और अपनी बात को पुरजोर तरीके से रखने का हुनर सीख लिया था और उनका यह गुण हर जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाने में उनके काम आया। अपने लंबे राजनयिक जीवन में हरदीप को कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष पूरी मजबूती से रखने का श्रेय जाता है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय विदेश सेवा का रूख किया और इस दौरान जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे। वह कुछ समय तक सेंट स्टीफन कॉलेज में व्याख्याता भी रहे।
शिव प्रताप शुक्ला: एक अप्रैल 1952 को उत्तर प्रदेश के रुद्रपुर के खजनी में जन्में शुक्ला के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता के तौर पर हुई थी। इसके बाद 1981 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रांतीय सचिव चुने गए। छात्र आंदोलन में उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला  ग्रामीण विकास के लिए संसद की स्थाई समिति के सदस्य हैं। वह उत्तरप्रदेश विधानसभा की सदस्यता के लिए लगातार चार बार 1989,1991,1993 और 1996 में चुने गए। शिव प्रसाद उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में आठ वर्ष मंत्री रहे और उन्हें अपने कार्यकाल में ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा जेल सुधार की दिशा में किए गए कार्यों के लिए जाना जाता है। शुक्ला को योगी आदित्य नाथ का धुर विरोधी बताया जाता है।
गजेंद्र सिंह शेखावत:  तीन अक्टूबर 1967 को जन्मे भाजपा नेता ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एमफिल और एमए किया है। उनके राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत भी इसी विश्वविद्यालय से 1992 में हुई जब वह एबीवीपी के बैनर तले छात्र संगठन के अध्यक्ष बने। वह आरएसएस की आर्थिक शाखा से भी जुड़े रहे हैं। राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सदस्य हैं। वह संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति के सदस्य और फेलोशिप समिति के अध्यक्ष हैं। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव शेखावत किसानों के रोल मॉडल हैं। वह तकनीक के जानकार भी हैं। सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए मशहूर शेखावत के कोरा ब्लॉग पर 55600 फॉलोवर हैं।  वर्तमान में वह अखिल भारतीय खेल परिषद् के सदस्य और बास्केटबॉल इंडिया प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
अनंत कुमार हेंगडे: लोकसभा सदस्य के रूप में यह उनका पांचवां कार्यकाल है। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ संसदीय क्षेत्र से 5वीं बार चुनकर लोकसभा पहुंचे है। अनंत कुमार हेगड़े राजनीति के साथ ही कोरियाई मार्शल आर्ट ताइक्वांडो में भी सिद्धहस्त हैं। ग्रामीण विकास में गहरी दिलचस्पी रखने वाले हेगड़े इस दिशा में काम करने वाले एनजीओ ‘कदंबा’ के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। ‘कदंबा’ ग्रामीण विकास, ग्रामीण स्वास्थ्य, एसएचजी, ग्रामीण विपणन और अन्य ग्रामीण कल्याण के क्षेत्र में काम करती है।  हेगड़े मात्र 28 साल की उम्र में पहली बार 1996 में ग्यारहवीं लोकसभा के लिए चुनकर संसद पहुंचे। उसके बाद वह 1998 में12वीं:, 2004 में 14वीं, 2009 में 15वीं और 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए चुनकर संसद पहुंचे।हेगड़े विदेश मामलों और मानव संसाधन विकास पर संसद की स्थायी समिति के भी सदस्य हैं।
अलफोन्स कन्नाथनम: दिल्ली में अतिक्रमण के खिलाफ व्यापक अभियान चला कर कम से कम 15 हजार अवैध इमारतें हटवाने वाले पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अलफोन्स कन्नाथनम अब मोदी मंत्रिपरिषद का हिस्सा बने हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह केरल के कंजीरापल्ली से 2006 -2011 के लिए विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके अलावा वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2017 निर्माण समिति के सदस्य भी हैं। कोट्टायम जिले के मनीमाला गांव में एक सैनिक परिवार में जन्में कन्नाथनम ने कोट्टायम के जिला कलेक्टर के अपने कार्यकाल के दौरान 1989 में इसे 100 प्रतिशत साक्षरता वाला शहर बना कर देश में साक्षरता अभियान की शुरूआत की थी। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने 1994 में जनशक्ति नामक एक एनजीओ की स्थापना की थी जिसमें उन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि उनमें सरकार को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने की क्षमता है। केरल से 1979 बैच के आईएएस अधिकारी रहे कन्नाथनम दिल्ली विकास प्राधिकरण में आयुक्त थे और भारी मात्रा में अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के कारण इन्हें दिल्ली के डिमोलीशन मैन के नाम से भी जाना जाता रहा। इतनी बडी उपलब्धि के कारण उनका नाम 1994 में टाइम्स मैगजीन के 100 युवा वैश्विक हस्तियों की सूची में शामिल किया गया था। इन अपलब्धियों के अलावा उनके पास एक गुण और है और वह है अच्छे लेखन का। उनकी किताब ‘मेकिंग ए डिफरेंस’ बेस्ट सेलिंग बुक की श्रेणी में शामिल है।
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