जापान की नामी टेलिकॉम कंपनी सॉफ्टबैंक से पिछले साल दुनिया के तीसरा सबसे वेतन पाने वाला सीईओ बनने के बाद मतभेदों के कारण इस्तीफा देने वाले निकेश अरोड़ा मंगलवार को अमेरिका की पालो आल्टो नेटवर्क्स इंक के सीईओ व चेयरमैन बन गए। निकेश को दुनिया की इस सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी के सीईओ के तौर पर करीब 858 करोड़ रुपये का कुल वेतन पैकेज मिला है और इसी के साथ वे दुनिया में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले सीईओ में से एक बन गए हैं।
इतना वेतन मिलेगा शेयर के दाम बढ़ेंगे तो
करीब 19 बिलियन डॉलर की ब्रांड वैल्यू वाली कैलिफोर्निया स्थित पालो आल्टो नेटवर्क्स कंपनी की दुनिया में करीब 50 हजार कंपनियों में हिस्सेदारी है और उसमें करीब 5 हजार कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी की तरफ से सोमवार को दर्ज की गई नियामक रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 50 साल के निकेश को कंपनी से मिले करीब 858 करोड़ रुपये के पैकेज की खास बात ये शर्त है कि इतने पैसे पाने के लिए उन्हें कंपनी के शेयरों का दाम चार गुना बढ़ाना होगा। निकेश कंपनी के पिछले सीईओ व चेयरमैन मार्क लाफलिन की जगह लेंगे, जो अब कंपनी के सेंट्रल बोर्ड वाइस चेयरमैन बन गए हैं। लाफलिन 2015 में कंपनी से दुनिया के 5वें सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले एक्जीक्यूटिव के तौर पर जुड़े थे।
सॉफ्टबैंक में दो साल में मिले थे 1946 करोड़ रुपये
वर्ष 1992 में अपनी पहली नौकरी करने वाले निकेश 2004 में गूगल से जुड़े थे। गूगल में 10 साल तक काम करने के बाद 2014 में वे सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉरपोरेशन में जुड़ गए थे, जहां उनकी हैसियत सॉफ्टबैंक के संस्थापक मासायोसी सन के बाद नंबर-2 की थी। पिछले साल मतभेदों के बाद सॉफ्टबैंक से इस्तीफा देने वाले निकेश को इस दौरान करीब 1946 करोड़ रुपये वेतन पैकेज के तौर पर मिले थे।
अमेरिका में पढ़ने को बेचने पड़े बर्गर
गाजियाबाद में भारतीय एयरफोर्स के अधिकारी के यहां जन्मे निकेश ने 1989 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेट्रिक्ल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए पिता से उधार के तौर पर 75 हजार रुपये लिए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें अमेरिका में अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बर्गर बेचने और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी जैसे काम भी करने पड़े। अमेरिका के बोस्टन कॉलेज से डिग्री लेने के बाद उन्होंने वहीं की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। इसके बाद वे चार्टर्ड फाइनेंस एनालिस्ट (CFA) भी बने।
इतना वेतन मिलेगा शेयर के दाम बढ़ेंगे तो
करीब 19 बिलियन डॉलर की ब्रांड वैल्यू वाली कैलिफोर्निया स्थित पालो आल्टो नेटवर्क्स कंपनी की दुनिया में करीब 50 हजार कंपनियों में हिस्सेदारी है और उसमें करीब 5 हजार कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी की तरफ से सोमवार को दर्ज की गई नियामक रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 50 साल के निकेश को कंपनी से मिले करीब 858 करोड़ रुपये के पैकेज की खास बात ये शर्त है कि इतने पैसे पाने के लिए उन्हें कंपनी के शेयरों का दाम चार गुना बढ़ाना होगा। निकेश कंपनी के पिछले सीईओ व चेयरमैन मार्क लाफलिन की जगह लेंगे, जो अब कंपनी के सेंट्रल बोर्ड वाइस चेयरमैन बन गए हैं। लाफलिन 2015 में कंपनी से दुनिया के 5वें सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले एक्जीक्यूटिव के तौर पर जुड़े थे।
- 6.7 करोड़ रुपये का मिलेगा सालाना वेतन
- 6.7 करोड़ रुपये का होगा सालाना बोनस
- 268 करोड़ रुपये के शेयर रहेंगे उनके नाम पर
- 07 साल तक इन शेयरों को नहीं बेच पाएंगे निकेश
- 134 करोड़ रुपये में करीब 22000 शेयर खरीदने होंगे निकेश को 6 जुलाई तक
- 443 करोड़ रुपये का स्टॉक विकल्प मिलेगा कंपनी की शेयर वैल्यू 150 फीसदी बढ़ने पर
- 04 गुना तक कीमत बढ़ी तो ये 443 करोड़ रुपये का पूरा स्टॉक हो जाएगा निकेश का
- 858 करोड़ रुपये का हो जाएगा इस तरह निकेश का पूरा सालाना पैकेज
सॉफ्टबैंक में दो साल में मिले थे 1946 करोड़ रुपये
वर्ष 1992 में अपनी पहली नौकरी करने वाले निकेश 2004 में गूगल से जुड़े थे। गूगल में 10 साल तक काम करने के बाद 2014 में वे सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉरपोरेशन में जुड़ गए थे, जहां उनकी हैसियत सॉफ्टबैंक के संस्थापक मासायोसी सन के बाद नंबर-2 की थी। पिछले साल मतभेदों के बाद सॉफ्टबैंक से इस्तीफा देने वाले निकेश को इस दौरान करीब 1946 करोड़ रुपये वेतन पैकेज के तौर पर मिले थे।
अमेरिका में पढ़ने को बेचने पड़े बर्गर
गाजियाबाद में भारतीय एयरफोर्स के अधिकारी के यहां जन्मे निकेश ने 1989 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेट्रिक्ल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए पिता से उधार के तौर पर 75 हजार रुपये लिए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें अमेरिका में अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बर्गर बेचने और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी जैसे काम भी करने पड़े। अमेरिका के बोस्टन कॉलेज से डिग्री लेने के बाद उन्होंने वहीं की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। इसके बाद वे चार्टर्ड फाइनेंस एनालिस्ट (CFA) भी बने।

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